Mohanjodaro
Mohanjodaro is in Larkana district of Sindh Pradesh. Mohanjodaro means the "place of the deceased". The achievement and excavation of this huge mound was done from 1921 to 1922 A.D. The fort has been found at an altitude of about 15 to 24 metres above the artificial hill, which has the balance of pucca bricks and wooden gurjars in the south east and west. Within this distant one found a bathing pool surrounded by the art quadripletic recovered side. There is a reservoir in the west from this kund.
In whose construction pure wooden logs have been used. And there are routes to enter the air, there is a paved light rostrum to unload the goods in the south of Thanksgiving. The main road of Mohanjodaro is 400 metres long and 10 metres wide. A pond has been found in Mohanjodaro whose floor is pucca.
Small sculptures and toys of stone, clay and metal are found in the Indus Valley, which is called a totally different story. The stone sculptures have been found to be less personality. As the solicit idol, the dancer of Kase is very small in size, is still in the most live sculptures of the world. Which are now safe in the National Museum, New Delhi. In meditation, the statue of a bearded meditator is important in the idols of the deity, yogi, animal, woman and men.
Many stone sexes and vaginas have been found, which is a horse of worship of nature and human beings. "Shiva Pashupati" mudra from Mohanjodaro is an indicator of the worship of Shiva. In Mohanjodaro, tickets, currency raids, stone weighing, copper and where the scriptures and utensils, clay sculptures of human beings and animals, statue of Madhuri Devi, gold silver beads, bracelets, painted pottery, ivory, etc., have been found.
मोहनजोदड़ो।
सिंध प्रदेश के लरकाना जिले में है। मोहनजोदड़ो का अर्थ मृतकों का स्थान होता है। इस विशाल टीले की उपलब्धि और उत्खनन का कार्य 1921 से 1922 ईस्वी में हुआ। कृत्रिम पहाड़ी के ऊपर लगभग 15 से 24 मीटर की ऊंचाई पर दुर्ग मिला है,जिसके दक्षिण पूर्व तथा पश्चिम में पक्की ईंटों और लकड़ी के बने गुर्जरों का धानसावशेष है।इस दूर के भीतर एक महत्वपूर्ण वस्तु कला चतुर्दिक बरामद ओर से घिरा हुआ एक स्नान कुंड मिला है। इस कुंड से पश्चिम में एक धान्यागार है।जिसके निर्माण में शुद्ध लकड़ी के लट्ठों का प्रयोग किया गया है। और वायु प्रवेश करने हेतु मार्ग बने हैं,धन्यवाद के दक्षिण में माल उतारने चढ़ाने के लिए एक पक्की ईट का चबूतरा है। मोहनजोदड़ो के मुख्य सड़क 400 मीटर लंबी और 10 मीटर चौड़ी है। मोहनजोदड़ो में एक तालाब मिला है जिसका फर्श पक्का है।
पत्थर, मिट्टी और धातु की छोटी-छोटी मूर्तियां और खिलौने सिंधु घाटी में मिले हैं, हुए बिल्कुल अलग कहानी कहते हैं। पत्थर की मूर्तियां तो कम ही मिली है जो मिली है वह व्यक्तित्व प्रदर्शक है। जैसी मांगना मूर्ति, कासे की नर्तकी आकार में बहुत छोटी होती है तब भी विश्व के अत्यंत सजीव मूर्तियों में है। जो अभी राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में सुरक्षित हैं। ध्यान में लीन देवी देवता, योगी, पशु, स्त्री तथा पुरुषों की मूर्तियों में दाढ़ी वाला ध्यानी मनुष्य की मूर्ति महत्वपूर्ण है।
अनेकानेक पत्थर के लिंग और योनिया मिली है जो प्रकृति और मनुष्य की पूजा की घोतक है। मोहनजोदड़ो से प्राप्त शिव पशुपति मुद्रा से शिव की उपासना का सूचक है। मोहनजोदड़ो में टिकट, मुद्रा छापे पत्थर के तौल , तांबे और कहां से के शास्त्रोंपकरण और बर्तन, मनुष्यों एवं जानवरों की मिट्टी की मूर्तियां, माधुरी देवी की प्रतिमा, सोने चांदी के मनके,कंगन गलाहार ,चित्रित मृत्यभांड ,हाथी दांत इत्यादि वस्तुएं मिली है।
Harappan.
The second major site of this civilization was Harappan in Mautgumri district of Punjab which was at some point on the banks of the Ravi River. From 1920, 46 Archaeological Survey of India carried out excavations here. Like Mohanjodaro, Harappan has also received a kind of distinctive fortress and the remains of the city in front of it. The size of this fortress is about a parallelogram with a height of 15 metres.
From Durg to River, there are circular pops for the habitat of the working and grain, which have found the remains of the grain agar built in 2 lines of review between which there was a 7 metre wide route. The area of this grain agar was very long.
A large Assam Shramdaan has been found in the excavation here. The excavation has a variety of pottery, ivory and union items of about 1500 stones, clay, etc., mud toys, silver, stone, etc. There is a huge equilibrium of Harappan and Mohanjodaro in cultural instruments.
हड़प्पा।
इसभ्यता का दूसरा बड़ा स्थल पंजाब के मौटगुमरी जिला स्थित हड़प्पा जो किसी समय रावी नदी के किनारे पर था। 1920 से 46 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यहां पर उत्खनन कराया। मोहनजोदड़ो की तरह हड़प्पा में भी एक प्रकार विशिष्ट दुर्ग और उसके सामने नगर के अवशेष प्राप्त हुए हैं।इस दुर्ग का आकार लगभग समानांतर चतुर्भुज जिसकी ऊंचाई 15 मीटर है।
दुर्ग से नदी तक के बीच श्रमजीवी ओं के निवास स्थान और अनाज कूटने के लिए वृत्ताकार चबूतरे बने मिले हैं,जिन की समीक्षा की 2 पंक्तियों में निर्मित धान्य आगार के अवशेष मिले हैं जिनके बीच 7 मीटर चौड़ा रास्ता था। इस धान्य आगार का क्षेत्र काफी लंबा था।
यहां की खुदाई में एक बड़ा असम श्रमदान मिला है। उत्खनन से डेढ़ हजार के लगभग पत्थर, मिट्टी इत्यादि की मुद्राएं, मिट्टी के खिलौने, चांदी , पत्थर आदि के मनके नाना प्रकार के मिट्टी के बर्तन, हाथी दांत और संघ की वस्तुएं हैं।सांस्कृतिक उपकरणों में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का भारी साम्य है।
Lothal.
The road to Ahmedabad has been received from the mound excavation named Lothal in Balagram. There is a bathing house in each house, whose drain was found in a large drain. A boat ghat and canal have also been received here. Currency, cereal, Nari Murthy etc. have been found. The excavation of Lothal shows that the deceased were buried in the north-south.
लोथल।
अहमदाबाद के सड़क बालाग्राम में लोथल नाम का का टीला उत्खनन से प्राप्त हुआ है।यहां प्रत्येक मकान में एक स्नान गृह मिला है, जिसकी नाली बड़ी नाली से मिलती थी। यहां एक नाव घाट तथा नहर भी प्राप्त हुआ है। मुद्रा, धान्यगार , नारी मूर्ति इत्यादि मिले हैं। लोथल की खुदाई से पता चलता है कि यहां पर मृतकों को उत्तर-दक्षिण में रखकर गाड़ा जाता था।
6 comments
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