Alora.
Sculpture-
Elapur, Elur or Belur which is nowadays called Alora. The cave temple of Alora is located about 50 kms away from Ajanta in the state of Maharashtra. Alora's sculpture has a distinct significance all over the world, which is related to Buddhist Jain and Hinduism. About 1200 years ago, these temples were built by cutting the mountain. Altogether, there are 34 caves. There are Brahmin, Buddhist and Jain temples. The cave number is 10 to 12 Buddhist cavities and 13 to 29 Brahmins and 30 to 34 Jain temples.The Brahmin cavity exhibits the nana supernatural works of Shiva, popularly known as Dashavatar Guha. The Brahmin temple named 16 Number Kailash is the best in Alora temples. The temple is built by cutting a very large rock from within, its vastness and beauty is visible. It is not a temple in the world as compared to such a huge temple that has been cut off by a rock. The length of the recession is 50 metres width 33 metres and height is 30 metres. There is a huge courtyard around them the temple has a very beautiful beautiful door and a roof with 16 pillars.
The floodgates and pillars have been constructed by cutting the mountains and making it hollow. There are three statue mandapas above the said pillars with 42 scenes based on mythological vertantato. For this, Narasimha and Hiranykshipu, kailash are inscribed by Ravan and Shiv Parvati Katha Nandi sits.
There are two elephants and victory pillars on both sides of the temple. The elephant fragments are indicative of his plight, the small elephant who has been burdened with the entire temple, has built 2 staircases from the north and south to go up, in which the Ramayana story itself is the stories of the Mahabharata, Ravan has held Kailash on the head. That is why the name of this temple has been given kailash nath.
There is a statue of Vishnu and Lakshmi in the cavity of 14 numbers and there are four hostesses in the vicinity of Saraswati, with a crown on the head, a chandbari in the hands of two, colours in the third hand.
The upper part of a porch of Guha No. 16 has a beautiful temple called the Lankeshwar temple. There is a statue of Narsi Avatar on the wall of the Lankeshwar temple and both male and Leo are shown together in this statue. The quadrilateral human size body with a leo head and narad ji beside it and two women have baman shapes. Prahlad, the right devotee of Narasimha, stands.
The artist has made no effort to bring all the beauty by digging stones. You have also worked to make pictures of beautiful to beautiful colours by lining a thin moment on it. The temple shows the impression of the accumulated colour somewhere. Some traces of peacocks have flown in one place but the art of the picture has not been destroyed. One place is left with the head of the Ramani and his lotus petals, the colour of the photograph is no less than his delicacy and his style of Ajanta, the statue of Sita's expropriation in the Sitarani Cave of November 29.
The idols of Alora are the harmony of Buddhism and Jainism. The creation of soft sculptures from Kusum on the hard letters is a surprising proof of the courage and efficiency of the artists. Amazing artwork are excellent specimens of architecture. It promotes tourists.
एलोरा।
मूर्ति कला-
एलापुर, एलूर या बेलूर जिसे आजकल एलोरा कहते हैं।महाराष्ट्र राज्य में अजंता से लगभग 50 किलोमीटर दूर एलोरा की गुफा मंदिर स्थित है। एलोरा की मूर्ति कला संसार भर में अपना अलग महत्व रखती है यह मूर्तियां बौद्ध जैन तथा हिंदू धर्म से संबंधित है। आज से लगभग 12 सौ वर्ष पहले ही इन मंदिरों का निर्माण पहाड़ काटकर हुआ था। कुल मिलाकर यहां 34 गुफाएं हैं। यहां ब्राह्मण, बौद्ध और जैन मंदिर है। गुहा संख्या 10 से 12 बौद्ध गुहा है तथा 13 से 29 ब्राह्मण तथा 30 से 34 जैन मंदिर है।ब्राह्मण गुहा में दशावतार गुहा नाम से प्रसिद्ध शिव के नाना अलौकिक कार्यों का प्रदर्शन है। एलोरा के मंदिरों में 16 नंबर कैलाश नामक ब्राह्मण मंदिर सर्वश्रेष्ठ है। एक बहुत बड़ी चट्टान को भीतर से काटकर यह मंदिर बना है इसकी विशालता तथा सुंदरता दर्शनीय है। यह किसी चट्टान को काटकर बने इतनी विशाल मंदिर की तुलना में संसार में कोई मंदिर नहीं है। मंदी की लंबाई 50 मीटर चौड़ाई 33 मीटर तथा ऊंचाई 30 मीटर है।इन के चारों ओर एक विशाल आंगन है मंदिर में बहुत ही सुंदर सुंदर द्वार झरोखे एवं छत के 16 स्तंभ है।
झरोखे तथा स्तंभों का निर्माण पहाड़ों को काटकर तथा उसे खोखला बनाकर किया गया है।उक्त स्तंभों के ऊपर तीन प्रतिमा मंडप है जिसमें 42 दृश्य पौराणिक बृत्तांतो पर आधारित है ।जैसे -नरसिंह और हिरण्यकशिपु ,कैलाश को उठाते हुए रावण द्वारा अंकित है तथा शिव पार्वती कथा नंदी विराजमान है।
मंदिर के दोनों तरफ दो हाथी और विजय स्तंभ है। हाथियों के टुकड़े उसकी दुर्दशा का सूचक है सारे मंदिर का बोझ उठाने वाले छोटे छोटे हाथी विहार करते हुए बताए गए हैंऊपर जाने के लिए उत्तर तथा दक्षिण से 2 सीढ़ियां बनी है जिसके पाश्र्व में रामायण कथा महाभारत की कथाएं खुद ही है रावण ने कैलाश को सिर पर धारण किया है ।इसीलिए इस मंदिर का नाम कैलाश नाथ दिया गया है।
14 संख्या की गुहा में विष्णु और लक्ष्मी की मूर्ति है तथा समीप में सरस्वती हैं साथ में चार परिचारिका आए हैं जिनके सिर पर जटा मुकुट, दो के हाथ में चंबरी, तीसरे हाथ में कलर्स दिखलाई पड़ता है।
गुहा संख्या 16 के एक बरामदे के ऊपर भाग में सुंदर मंदिर बना है जिसे लंकेश्वर मंदिर कहा जाता है।लंकेश्वर मंदिर की दीवार पर नरसी अवतार की प्रतिमा है इस प्रतिमा में नर तथा सिंह दोनों को एक साथ दिखाया गया है। चतुर्भुजी मानव आकार शरीर जिसका सिर सिंह का है तथा बगल में नारद जी हैं तथा दो स्त्रियों को बामन आकृतियां है। नरसिंह के दाहिने भक्त प्रहलाद खड़ा है।
कलाकार ने पत्थर खोदकर सारी सुंदरता लाने में कोई कसर नहीं रखी है।तू भी उस पर पतला पल अस्तर लगाकर सुंदर से सुंदर रंगों के चित्र बनाने का काम किए हैं।इस मंदिर पर कहीं-कहीं संचित रंग का आभास दिखाई देता है।एक जगह मोर के कुछ अंश उड़ गए हैं लेकिन तस्वीर की कला नष्ट नहीं हुई है।एक जगह रमणी का सिर और उसकी कमल की पंखुड़ी जैसी आंखें ही बची है इस तस्वीर का रंग उसकी नजाकत और उसकी शैली अजंता की किसी कदर कम नहीं है 29 नवंबर की सीताहरनी गुफा में सीता हरण की मूर्ति है।
एलोरा की मूर्तियों में बौद्ध धर्म और जैन धर्म का सामंजस्य है।कठोर पत्रों को काट कर के उस पर कुसुम से भी कोमल मूर्तियों का निर्माण कलाकारों की हिम्मत तथा दक्षता का आश्चर्यजनक प्रमाण है। अद्भुत कलाकृति स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने हैं। यह पर्यटक को बढ़ावा देता है।
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