Ajanta Caves.
Mumbai state Maharashtra is located at an art pavilion of Ajanta near Fardapur village located 106 kms away from Aurangabad. From Allahabad to Mumbai, there is a village called Jalgaon in Bala line. From where the distance of Ajanta is 59 kms. Praer is engraved 29 caves of the 300 ft high Sahadri Mountain. The River Bagura flows down. A caves are famous for painting its craft property characteristic.
There are two types of Ajanta caves. One student and another Bihar. Bihar was the place of residence and study of subjects and only worship was done in Chaitya. The Caves of Ajanta have 9, 10, 19 and 26 Chaat temples in Bihar. The 19-number cave is the largest Chaitya i.e. stupa cave. Cave No. 1 which is dug up to 120 feet, the creation of which is surprising. All the caves have been made by the letters themselves, the pictures of the caves of Ajanta Cave 1, 2, 9, 10, 16 and 17 are left in some parts.From all the caves somewhere on the wall, there are beautiful fractured hand legs and somewhere the fractured body of the horse elephant and its riders appear.
Some features of Ajanta. There is a wonderful confluence of painting, sculpture and architecture. Ajanta is witness to the extreme flourishing of our ancient civilizations, religion, philosophy, art, culture and sadhana. The paintings and sculptures of Ajanta belong to the life of Buddha, all these caves are secret. Ajanta style painting is vidhan fresco painting. Along with the paintings, there are also the secret sculptures. The masterpiece of Ajanta Caves is dependent on the distinctive beauty of their paintings. The murals are drawn on rough stone.Thereafter, blood, yellow, indigo, green and Krishna have been filled with colour. The story of the verses is depicted in Cave 10. The huge mandapa in this caves, which is more than 50 feet long and the large flowers of satsheets and rooms in the students, is a typical example of the morning, ajanta's murals are representative images of the cultured life of the Golden Age.
Features of Ajanta's murals.
The outline of the preparation of the paintings here is very lively, vigorous and elastic the greatness and vastness of the paintings makes the art of the art of the simplicity, naturalness and generosity of imagination great. The visual combination takes a lot of attention to the focus, which results in early attention to the main picture. The graphs are absolutely natural and unleashing. The principal of art is ordinary lines.These lines, which have naturally emerged from the paintbrush of the artists, have made the root consciousness more than the fingers of their hands. They have also lost their lives in the inanimate stone. Through their dynamic lines, these painters have easily revealed roundness, effect of light shadows, bulge and depth without any effort. Most of the expressions of hand postures, eye brightness and elasticity of limbs have been expressed. The art of Ajanta is a master.Kamal Poquestion is used at the symbol site in Ajanta in his nana forms. The place of naras is important in the art of Ajanta. There has been a very captivating portrayal of women's organs. The manner of their standing is gesture and interesting. So much information and diverse depictions of hand currencies are surprising. The painter has made a little turn of the palms somewhere to express the feelings by the currencies. And the beauty of which Kalapu is described. The embellishment of men's jewellery and crowns is amazing.
In the art of Ajanta, expressions such as love, shame, joy, sorrow, degradation, grief, enthusiasm, anger, hatred and surprise anxiety, disaffection, peace, Jai-debacle, Raag and Virat are shown with great merit. There is a serious righteousness, so the portrait of Ajanta has influenced modern Indian painting and the emergence of shakars has not been inspired by the paintings.
अजंता की गुफाएं।
मुंबई राज्य महाराष्ट्र, औरंगाबाद से 106 किलोमीटर दूर पर स्थित फर्दापुर गांव के समीप अजंता की एक कला मंडप अवस्थित है। इलाहाबाद से मुंबई जाने बाला लाइन में जलगांव नामक एक गांव है। जहां से अजंता की दूरी 59 किलोमीटर है। प्रायर 300 फुट ऊंचा सहादरी पर्वत के 29 गुफाएं उत्कीर्ण है। नीचे बागुरा नदी बहती है। एक गुफाएं अपनी शिल्प संपत्ति विशेषता चित्रकला के लिए विख्यात है।
अजंता की गुफाएं दो प्रकार के हैं। एक छात्र और दूसरा बिहार।बिहार विषयों के निवास और अध्ययन का स्थान था और चैत्य में केवल उपासना की जाती थी। अजंता की गुफाओं में 9, 10,19, तथा 26 चैत मंदिर बिहार हैं। 19 नंबर की गुफा वहां का सबसे बड़ा चैत्य अर्थात स्तूप गुफा है। गुफा नंबर 1 जो 120 फुट तक भीतर खोदकर बनाई गई है जिसकी रचना आश्चर्य है। सभी गुफाएं पत्रों को खुद कर बनाई गई है अजंता की गुफा 1,2,9,10,16 और 17 नंबर की गुफाओं के चित्र कुछ अंश में बचे हैं।से सभी गुफाओं में दीवार पर कहीं सुंदर कहीं खंडित हाथ पैर और कहीं घोड़े हाथी और उसके सवारों की खंडित शरीर दिखाई पड़ते हैं।
अजंता की कुछ विशेषताएं। चित्रकला, मूर्ति कला और वास्तुकला का अद्भुत संगम है । अजंता हमारी प्राचीन सभ्यताओं, धर्म, दर्शन, कला ,संस्कृति और साधना के चरम उत्कर्ष के मुख साक्षी है अजंता के चित्र और मूर्तियां बुद्ध के जीवन से संबंध रखता है यह सभी गुफाएं गुप्तकालीन है। अजंता शैली के चित्र विधान फ्रेस्को पेंटिंग है। चित्रों के साथ साथ यहां गुप्तकालीन मूर्तियां भी है। अजंता गुफाओं की कृति उनके चित्रों के विशिष्ट सुंदरता पर आश्रित है।यह भित्ति चित्र खुरदरे पत्थर पर तैयार किए गए हैं ।तत्पश्चात रक्त, पीत,नील, हरित और कृष्ण से इनके रंग भरे गए हैं। गुफा 10 में छंदत की कथा चित्रित है। इस गुफाओं में विशाल मंडप जो 50 फुट से अधिक लंबे चौड़े हैं तथा छात्रों में सतपत्र और कमरों के बड़े-बड़े फूल सुबह के विशिष्ट उदाहरण है अजंता के भित्ति चित्र स्वर्ण युग के संस्कृतिक जीवन की प्रतिनिधि चित्र है।
अजंता की भित्ति चित्रों की विशेषताएं।
यहां के चित्रों की तैयारी की रूपरेखा बहुत जानदार, जोरदार और लोचदार है चित्रों की महानता और विशालता शैली की सरलता, स्वाभाविकता और कल्पना की उदारता अजंता की कला को महान बनाती है। दृश्य संयोजन में केंद्रित व का बहुत अधिक ध्यान रखा गया है जिसका परिणाम यह होता है कि मुख्य चित्र की ओर शीघ्र ध्यान आकृष्ट हो जाता है। रेखांकन बिलकुल स्वाभाविक और उन्मुक्त है।कला का प्रधान साधारण रेखाएं हैं।कलाकारों की तूलिका से स्वाभाविक रूप से निकली हुई इन रेखाओं ने जड़ की चेतना बना दिया है उनके हाथों की उंगलियां जिह्वा से भी अधिक बाचाल हो उठी है। निर्जीव पत्थर में भी उन्होंने जान डाल दी है। अपनी गतिशील रेखाओं के द्वारा इन चित्रकारों ने आकृति के अनुसार गोलाई, प्रकाश छाया का प्रभाव, उभार तथा गहराई सरलता पूर्वक बिना किसी प्रयास की प्रकट किया है। हाथ की मुद्राओं, आंखों की चमक तथा अंगों की लोच से अधिकांश भाव व्यक्त हुए हैं। अजंता की कला भाव प्रधान है।कमल पोसवाल अपने नाना रूपों में अजंता में प्रतीक स्थल पर प्रयुक्त हुआ है। अजंता की कला में नारियों का स्थान महत्वपूर्ण है। स्त्रियों के अंग प्रत्यंग ओं का बड़ा ही मनोरम चित्रण हुआ है। उनके खड़े होने का ढंग भंगिमा एवं रोचक है। हस्त मुद्राओं का इतना सूचना एवं विविध चित्रण आश्चर्यचकित करता है। चित्रकार ने मुद्राओं द्वारा भाव व्यक्त करने के लिए कहीं हथेलियों का थोड़ा मोड़ दिया है तू कहीं उन्हें खोल दिया है।। एवं किस कलापू का सौंदर्य वर्णित है। पुरुषों के आभूषण और मुकुट का अलंकरण अद्भुत है।
अजंता की कला में प्रेम ,लज्जा ,हर्ष ,विषाद, ह्रास ,शोक ,उत्साह ,क्रोध ,घृणा व आश्चर्य चिंता, विरक्ति ,शांति ,जय-पराजय, राग और विराट जैसे भावों को बड़ी खूबी से दर्शाए गए हैं। यहां गंभीर धार्मिकता व्याप्त है अतः अजंता की चित्र ने आधुनिक भारतीय चित्रकला को प्रभावित किया है और चित्रों की प्रेरणा ग्रहण करके नहीं शायरियों का उद्भव हुआ है।
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