Jahangir.
Jahangir is a big companion, a lover of beauty, a worshipper of natural beauty, a deer science collection and a self-character, and his paintings are universally discussed. The son of an Iranian painter named Dismissa was a very loving painter of Abul Hassan Jahangir. Bishan Das was a skilled painter. Jahangir carpet woman's portrait probably in Akbar's time, her mother Hamida Bannu Begum and Noorjehan in the time of Jehangir were also ready.The Jahangir carpet Mughal style took a new path. There is no re-living in the reality. Also freed from Iranian influence. In the thinly prepared he has moved from Akbari pictures the pictures of prey have shown amazing nature in the picture of animal birds. Another court seriousness is the picture, expression and expression of the hungry and monks.
The paintings of Europe came in large numbers, yet it is an art style free from European style. The faces of jahangir paintings are one thing that is found exceptionally in European art. In thousands of pictures of Jehangir, only one picture has been found. The form is estimated to be of Jehangir. Such margins are also excellent handcrafted samples. The view between the bell bute Shikargah, the bell ghosts, the animal-birds, sometimes it looks excellent even from the prime picture.
During jehangir's reign, the right to painting reached the zenith. In a picture called "Bharat Sundari", a beauty is being put on a floral necklace in one hand for the sugar and the other hand flowers are being cast, the beautiful texture of her limb, the ears, the neck, the wrist, the jewellery has put four moons in her beauty. The Mughal art flourished due to the beautiful countenance of the improved Uroz navel, etc. Rai Krishnadas has written a great appreciation about Hindu painter Vihan Das in his autobiography "Tujak Jahan Giri".Mohammad Nadir Manohar Ustad Mansoor, etc., was a high-quality artist in the court of Jahangir. The foreign painter was Kulmak Farooq Baig etc.
जहांगीर।
जहांगीर बड़ा है सह्रदय, सुरुचि, चित्र प्रेमी, प्राकृतिक सौंदर्य का उपासक वृक्ष,मृग विज्ञान संग्रह करता और आत्मचरित्र लिखा है उसके चित्रों की चर्चा सर्वत्र विद्वान है।ख़ारिजा नामक एक ईरानी चित्रकार का पुत्र अबुल हसन जहांगीर का बड़ा प्यारा चित्रकार था। बिशन दास कुशल चित्रकार थे।जहांगीर कालीन स्त्री चित्र संभवत अकबर के समय में उसकी माता हमीदा बानो बेगम की और जहांगीर के समय में नूरजहां को भी शबीह तैयार हुई।जहांगीर कालीन मुगल शैली ने एक नया रास्ता लिया। उसमें फिर रुढ़ि ना रहकर असलियत आ गई है। ईरानी प्रभाव से भी मुक्त हो गई। बारीकी तैयार में वह अकबरी चित्रों से आगे बढ़ गई है शिकार के चित्र पशु पक्षियों के चित्र में कमाल का स्वभाव दिखाया है।एक और दरबारी गंभीरता दूसरी और भूखों और भिक्षुओं की चित्र, भाव और अभिव्यक्ति के है।
यूरोप के चित्र काफी तादाद में जहांगीर किस में आए, फिर भी यूरोपीय शैली से मुक्त यह कला शैली है। जहांगीर चित्रों के चेहरे एक चीज है जो यूरोपीय कला में अपवाद रूप से पाए जाते हैं। जहांगीर की हजारों तस्वीरों में केवल एक डेढ़चश्म तस्वीर मिली है। रूप सदृश्य से अनुमान किया जाता है कि वह जहांगीर की है। ऐसे हाशिए भी उत्कृष्ट दस्तकारी के नमूने हैं। उन पर बेल बूटे शिकारगाह, बेल भूतों के बीच-बीच पशु-पक्षी यह दृश्य कभी-कभी यह तो प्रधान चित्र से भी उत्कृष्ट लगते हैं।
जहांगीर के शासनकाल में चित्रकला का अधिकार चरम सीमा पर पहुंचा।"भारत सुंदरी" नामक चित्र में एक सुंदरी शकर की अर्चना हेतु एक हाथ में पुष्प हार और दूसरी हाथ में फूलों की डाली लिए जा रही है उसके अंग प्रत्यंग की सुंदर बनावट कान, ग्रीवा, कलाई ने पहनाई है आभूषणों ने उसके सौंदर्य में चार चांद लगा दिया है। सुंदर मुखाकृति उन्नत उरोज नाभि की बनावट इत्यादि के कारण मुगलकालीन कला उत्कर्ष को प्राप्त हुई।राय कृष्णदास ने हिंदू चित्रकार विशन दास के बारे में अपनी आत्मकथा "तुजक जहां गिरी" में बड़ी प्रशंसा लिखी है।मोहम्मद नादिर मनोहर उस्ताद मंसूर इत्यादि जहांगीर के दरबार में उच्च कोटि के कलाकार थे। विदेशी चित्रकार कुलमाक फारुख बेग इत्यादि थे।
Shah Jahan.
The son of Jahangir, Shah Jahan, was the lord of the Mughal Sultanate of India in 1628 A.D. During Shah Jahan's reign, the Mughal art began to decrease. The performance of art darbari splendour, Shan Shaukat was only left. Due to court etiquette, there is a kind of artificial and inertia in place of naturality. The art was not affective and the external decoration ornamentation was confined to the snapping of colours, the charm of hand postures, the emergence of organ-responses. The "Taj Mahal" of the world famous Agare in Vastu Features symbolizes mamata towards Mumtaz.
In addition, the buildings of Moti Masjid, Jama Masjid, crazy special, crazy mango and Red Fort in Delhi, etc., are a direct example. At the time of Jehangir, Govardhan, Mohammad Nadir Manohar, Chitmani Kalyan das Chitman, Lalchand etc. were painters. Shah Jahan made the history of his call "Padshahnama", which has pictures of colour palaces and luxuries that are now safe at windsor Palace in Britain, in a picture called "Meeting the Santo" of the living and independent creation Of Shah Jahan.
A remarkable portrait of an old mystic in a person's paintings made of pen ink is in the British Museum.
शाहजहां।
जहांगीर का पुत्र शाहजहां भारत के मुगल सल्तनत का स्वामी 1628 ईस्वी में बना।शाहजहां के शासनकाल में मुगल कला में कमी दृष्टि गोचर होने लगा। कला दरबारी वैभव, शान शौकत का प्रदर्शन मात्र रह गई। दरबारी शिष्टाचार के कारण स्वाभाविक ता के स्थान पर एक प्रकार की कृत्रिम और जड़ता आ गई है।कला भावात्मक ना होकर बाहरी सजावट अलंकरण रंगों की तड़क-भड़क, हस्त मुद्राओं का आकर्षण, अंग प्रत्यंगओं की उभार तक सीमित रही।वास्तु शिल्प में विश्व प्रसिद्ध आगरे का "ताजमहल" मुमताज के प्रति ममता का प्रतीक है।
इसके अलावा मोती मस्जिद, जामा मस्जिद, दीवाने खास, दीवाने आम तथा दिल्ली का लाल किला इत्यादि भव इमारतें इसकी प्रत्यक्ष उदाहरण है। जहांगीर के समय गोवर्धन, मोहम्मद नादिर मनोहर, चितामणि कल्याण दास चित्रमन, लालचंद इत्यादि चित्रकार थे। शाहजहां ने अपनी काल का इतिहास "पादशाहनामा" तैयार कराई जिसमें रंग महल और विलासिता के चित्र हैं जो अभी ब्रिटेन के विंडसर पैलेस में सुरक्षित है सजीव एवं स्वतंत्र रचना शाहजहां के "संतो से भेंट" नामक चित्र में है।
कलम स्याही से बने व्यक्ति चित्रों में एक वृद्ध फकीर का उल्लेखनीय चित्र ब्रिटिश संग्रहालय में है।
1 comments:
Click here for commentsexcellent
If you have any doubt, Let me know. ConversionConversion EmoticonEmoticon